2017 में भारत में लगभग 21 लाख लोग एचआईवी पीड़ित
2017 में भारत में लगभग 21 लाख लोग एचआईवी पीड़ित

 



88 हजार लोग संक्रमित और 69 हजार लोगों की हुई एड्स के कारण मौत-राजबीर कश्यप
 विश्व एड्स दिवस पर आज सिविल अस्पताल कलानौर के प्रांगण में लीगल केयर एंड स्पोर्ट सैंटर के संचालन के अवसर पर जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण रोहतक के पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप द्वारा विश्व एड्स दिवस के बारे एक विशेष कानूनी जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
         कश्यप ने एचआईवी एड्स पीडि़तों को नि:शुल्क दी जाने वाली कानूनी सहायता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बार विश्व एड्स दिवस की थीम कम्युनिटी मेक द डिफरेंस (समुदाय बदलाव लाता है) रखी है। वर्ष 1988 के बाद से एक दिसम्बर को हर साल विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।
      उन्होंने बताया कि विश्व एड्स दिवस से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने वैश्विक स्तर पर एड्स की स्थिति के संबध में जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, वे भयावह हैं। सन 2017 के मुताबिक भारत में लगभग 21 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। 88 हजार लोग संक्रमित पाए गए और लगभग 69 हजार लोगों की एड्स के कारण मौत हो चुकी है। 
      राजबीर कश्यप के अनुसार आज पूरे विश्व में लगभग 3.8 करोड़ लोग दुनियां में एड्स के साथ जीने को मजबूर हैं, 2.4 करोड़ लोग एंटिरिट्रोवायरल थेरेपी ले रहे हैं जबकि 9 साल पहले थेरेपी लेने वालो की संख्या महज 70 लाख थी और 80 लाख लोग नहीं जानते कि वे एचआईवी से संक्रमित हैं। 
         उन्होंने बताया कि एचआईवी एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना अप्रैल में जारी कर दी गई और इसे 10 सितंबर 2018 को पूरे देश में लागू कर दिया गया। इस कानून के तहत एड्स पीड़ित नाबालिक को परिवार के साथ रहने का अधिकार मिलता है और उनके खिलाफ भेदभाव करने और नफरत फैलाने से रोकने, मरीज को एंटी-रेटरोवाईरल थेरेपी का न्यायिक अधिकार, मरीजों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करना, किसी को नौकरी, शिक्षा या स्वास्थ्य संबंधी सेवा से पहले एचआईवी टेस्ट करना भी गैर कानूनी है।
      राजबीर कश्यप ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बिना एचआईवी पोजिटिव के स्टेटस को उजागर नहीं किया जा सकता है। एचआईवी के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव करना मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा और अपराध की श्रेणी में आएगा। एचआईवी पीड़ित को संपत्ति में पूरा अधिकार, पीड़ित का मुफ्त इलाज करना अनिवार्य होगा। 
    उनका कहना था कि एचआईवी एड्स पीड़ित को जिस प्रकार हर प्रकार की दवाईंयां मुफ्त मिलती है, ठीक उसी प्रकार उसे हर प्रकार की कानूनी सहायता नि:शुल्क मुहैया कराई जाएगी। यह कानून आने के बाद एचआईवी एड्स मरीज शान से अपनी जिंदगी जी सकेंगे। इस कानून में उनके साथ भेदभाव करने वाले लोगों को दो साल की सजा व एक लाख रुपये जुर्माना दोनों का प्रावधान है।
    डॉ. नरेश अरोड़ा ने बताया कि जब तक सभी नागरिक एचआईवी एड्स की रोकथाम के लिए आगे नहीं आयेंगे तब तक हमें बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप, पीएलवी माया देवी, डॉ. विवेक, डॉ नरेश अरोड़ा, स्टाफ नर्स दया, बबीता तथा रामकिशन, मोहित, सन्नी व अन्य नागरिक उपस्थित रहे।



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