नई दिल्ली, पीटीआइ। गूगल, उबर, अमेजन और फेसबुक जैसी कंपनियों में देश-विदेश में काम करने वाले भारतीय और भारतीय मूल के आइटी इंजीनियरों (Indian-origin professionals) ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में खुला खत लिखा है। पत्र में इस कानून को फासीवादी कानून (Fascist Law) बताया गया है। इस पत्र पर 150 से ज्यादा इंजीनियरों के हस्ताक्षर हैं।
इंजीनियरों ने अल्फाबेट के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग और रिलायंस के मुकेश अंबानी जैसे उद्योग जगत के लोगों से इस कानून की सार्वजनिक तौर पर निंदा करने की अपील की है।
टेकएगेंस्टफासिज्म' (TechAgainstFascism) नाम से लिखे पत्र में इंजीनियरों ने दावा किया है कि उनके समूह में इंजीनियर से लेकर रिसर्चर, विश्लेषक और डिजाइनर भी शामिल हैं। इस समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और भारत में काम करने वाले लोग शामिल होने का दावा किया गया है।
CAA और NRC मुस्लिम विरोधी
समूह ने सीएए और एनआरसी को मुस्लिम विरोध बताया है। इसके खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने का आरोप लगाते हुए इंटरनेट सेवा बंद करने भी आलोचना की है। पत्र में कहा गया है, 'हम, इंजीनियर, रिसर्चर, विश्लेषक और डिजाइनर फासीवादी भारत सरकार और नागरिकों पर की गई क्रूरता की निंदा करते हैं। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राज्य द्वारा प्रायोजित बर्बरता तुरंत बंद होनी चाहिए।'
प्रदर्शन के नाम पर हिंसा
बता दें कि यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) का विरोध हो रहा है। कई मौकों पर विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसक घटनाएं भी हुई हैं। इस दौरान पुलिस के साथ झड़पों में लगभग 20 लोग मारे गए है और सौकड़ो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
सरकार से साझा न करें जानकारी
इंजीनियरों ने अल्फाबेट के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग, ट्विटर के जैक डोरसी, उबर के दारा खोस्रोशाही, जीओ के मुकेश अंबानी, भारती एयरटेल के गोपाल विट्टल, फ्लिपकार्ट के कल्याण कृष्णमूर्ति और एडोब के शांतनु नारायण से भारत सरकार के फैसले की निंदा करने का आग्रह किया है। उन्होंने अपील की है कि सरकार के साथ यूजर्स की जानकारी को साझा करने से इनकार कर दें, सरकार के कहने पर इंटरनेट बंद ने करें।