स्वामी हंसदास ने बहाई निर्मलधाम में भजनामृत धारा

श्री सत्गुरुदेव निर्मलदास जी का 75वां वार्षिक उत्सव


अजमेर / श्री सत्गुरुदेव निर्मलदास जी का 75वां वार्षिक उत्सव हर्षोउल्लास एवं धूमधाम से मनाया जा रहा है 


इस अवसर पर गद्दीनशीन स्वामी आत्मदास ने  अपने प्रवचनों में आज  बताया कि, चौरासी लाख योनियों के बाद ही मनुष्य जीवन प्राप्त होता है उसको सफल बनाने के लिए मनुष्य को अपने रोजमर्रा के कार्यक्रम से परमात्मा के लिए कुछ समय निकाल कर नाम सिमरन एवं सत्संग सुनना चाहिए। क्योंकि अंत समय में जब बुलावा आता है तो यही इकट्ठा किया हुआ खजाना काम आता है बाकी सब यहीं छोड कर जाना पड़ता है।" alt="" aria-hidden="true" />


मन्दिर सेवाधारी नरेन्द्र बसरानी ने बताया कि रीवा शहर से पधारे स्वामी हंसराज उदासी की बालक मण्डली ने अपने प्रवचनों में एकादशी का प्रसंग लेते हुए बताया कि एकादशी का वृत रख कर अपने को अहोभागी न समझ कर जब तक अपना वृत प्रभु से नहीं लगायेगें तब तक वृत आदि रखने का कोई औचित्य नहीं है साथ ही स्वामी माध विदास द्वारा रचित रुहानी रस भजन संग्रह से चुने हुए भजन गाकर उपस्थित साध संगत को नाचने पर मजबूर कर दिया। इस अवसर पर गद्दीनशीन स्वामी आत्मदास जी का जन्मदिवस केक काटकर मनाया गया । इस मौके पर भारतीय सिंधु सभा के महेन्द्र तीर्थानी, महेश टेकचंदानी तथा मुम्बई से पधारे गुरमुखदास परमानी एवं अहमदाबाद से पधारे महाराजा ज्वैलर्स के नरेश भाई, गोरधन मोटवानी आदि विशेष रुप से उपस्थित थे । उत्सव 21 फरवरी महाशिवरात्रि महोत्सव के साथ सम्पन्न होगा ।


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