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बिजयनगर। (खारीतट सन्देश) कोरोना संक्रमण से बचाव के चलते जारी लॉकडाउन में सरकार के निर्देशों के चलते सरकारी एवं निजी विद्यालयों सहित कॉलेजों में शिक्षण कार्य बंद किया गया। इस दौरान स्माइल अभियान के तहत रमसा राजस्थान की ओर से राज्यभर की सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधानों के व्हाटसअप नम्बर पर डेली कक्षावार अलग-अलग विषय के चैप्टर वाइज स्टडी मेटेरियल डाला जा रहा है। इसे विद्यालय के शिक्षक कक्षावार व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर प्रत्येक छात्र के अभिभावक को स्टडी मेटेरियल सेन्ड कर छात्र-छात्राओं को ऑनलाईन पढ़ाई करवा रहे हैं।
वहीं निजी विद्यालयों ने भी अपने-अपने विद्यार्थियों के कक्षावार व्हाटसअप ग्रुप बनाकर डेली स्टडी मेटेरियल भेजने का कार्य जारी रखा तो कुछेक विद्यालयों ने जूम ऐप, यूट्यूब चैनल और अपनी स्कूल की बनी हुई निजी मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ऑनलाईन पढ़ाई करवाई। निजी विद्यालयों की ऑनलाईन क्लासेज से जहां विद्यार्थी पढ़ाई में व्यस्त रहे तो वहीं पढ़ाई के बाद मिलने वाले हामवर्क को डेली कम्पलीट करने के चलते विद्यार्थियों के पास समय का अभाव सा रहा। ऑनलाईन पढ़ाई से जहां अभिभावकों ने विद्यालयों के कार्य पर संतुष्टि जताई किंतु ऑनलाईन पढ़ाई के समय बार-बार नेटवर्क नहीं आने के कारण पढ़ाई बाधित होने पर नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनियों को जमकर कोसा। वहीं, दूसरी ओर छात्र-छात्राओं ने विद्यालय की इस पहल की सराहना की। पेश है खारीतट संदेश की विशेष रिपोर्ट...
ऑनलाईन और विद्यालय के क्लासरूम में पढ़ाने का अंतर सिर्फ इतना है कि क्लासरूम में हम पूरा एक्सप्लेन कर सकते हैं, उतना ऑनलाईन पढ़ाने में नहीं कर पाते हैं। हम लोगों ने व्हाटसअप ग्रुप के माध्यम से ऑडियो व वीडियो पेटर्न पर लेसन तैयार कर कक्षावार ग्रुप में सेंड कर छात्र-छात्राओं को पढ़ाते और लास्ट के 15 मिनट में सवाल-जवाब कर लेसन को लेकर फीडबैक लेते हैं। इन ऑडियो और वीडियो को बच्चे कभी भी दुबारा देखकर अपना रिवीजन कर सकते हैं।" alt="" aria-hidden="true" />
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स्नेहा झंवर, शिक्षिका, सेंट पॉल स्कूल, बिजयनगर
ऑनलाईन पढ़ाई के माध्यम से इस टाइम पीरियड का जो हमारा कोर्स था वो हमने पूरा किया है। साथ ही हमारी आदत में था कि रोजाना स्कूल जाना और पढ़ाई करना, वो आदत हमारी बनी रही। हम लोग तैयार होकर ऑनलाईन पढ़ाई करने में जुटे रहे। इससे हमें बहुत अच्छा लगा।" alt="" aria-hidden="true" />
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आदित्य सुखवाल, छात्र कक्षा-10, सेंट पॉल स्कूल, बिजयनगर
ऑनलाईन क्लासेज के तहत सर हमें विषयवार प्रश्न-उत्तर समझाते थे। यदि किसी बच्चे को कोई परेशानी होती तो उसका सोल्यूशन भी सर उसी समय बताते थे। डेली सब्जेक्ट वाईज लेसन होते थे। क्लासेज के माध्यम से हमें सभी चैफ्टर बराबर समझ में आ जाते थे। हम खुश हैं कि लॉकडाउन में भी हमारी क्लासेज निरंतर चलती रही।" alt="" aria-hidden="true" />
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दिव्यांश तिवाड़ी, छात्र कक्षा-9, श्री प्राज्ञ पब्लिक स्कूल, बिजयनगर
परीक्षा से पूर्व अचानक से लॉकडाउन लग जाने से बच्चों को तैयारी कराना संभव नहीं लग रहा था। ऐसे में स्टॉफ से बोलकर सभी कक्षाओं का व्हाटसअप गु्रप बनवाए और उनके माध्यम से बुक्स के ऑनलाईन लिंक भिजवाकर पढ़ाई शुरू करवाई। बच्चों के जो स्टडी मटेरियल से रिलेटेड डाउट्स थे उनको सोल्व करवाया गया ताकि बच्चे एग्जाम से पूर्व अच्छे से तैयारी कर सके। फिर सरकार की ओर से बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के निर्देश मिले तो निर्धारित सेलेबस के अनुसार पुन: व्हाटसअप के माध्यम से ही पढ़ाई जारी रखी। इस दौरान बच्चों और उनके पेरेंट्स का अच्छा सपोर्ट मिला जिससे हम लोग इस लक्ष्य को प्राप्त कर पाए।" alt="" aria-hidden="true" />
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चारू वर्मा, प्रधानाध्यापिका, शिशु सदन माध्यमिक विद्यालय, गुलाबपुरा
विद्यालय प्रशासन की ओर से लॉकडाउन अवधि में कक्षावार व्हाटसअप ग्रुप बनाकर ऑडियो-वीडियो के माध्यम से लेसन तैयार किए गए और उनके ग्रुपों में सेंड कर बच्चों को पढ़ाया गया। इसमें बच्चों ने भी अच्छी रुचि दिखाई। वहीं पेरेंट्स भी खुश थे कि उनके बच्चे घर पर भी पढ़ाई कर रहे हैं। ऑनलाईन पढ़ाए गए लेसन में से हमने एक क्वालिटी टेस्ट ऑनलाईन ही लिया, जिसमें सभी बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया। लॉकडाउन के चलते पहली बार किए गए इस प्रयास से अच्छी सफलता मिली है। इससे हमें बहुत खुशी है।" alt="" aria-hidden="true" />
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बृजराज पुरोहित, निदेशक, केशव इंटरनेशनल स्कूल, बिजयनगर
लॉकडाउन के दौरान स्कूल के बच्चों को क्लास वाईज व्हाटसअप ग्रुप बनाकर रेग्यूलर होमवर्क दिया गया। साथ ही होमवर्क कैसे सोल्व करे उसके लिए ऑडिया वीडियो बनाकर भी सेन्ड किए गए। ऑनलाईन पढ़ाई से बच्चों में अच्छा असर देखने को मिला साथ ही अभिभावकों ने भी खुशी जताई है।" alt="" aria-hidden="true" />
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जीवराजमल संचेती, निदेशक, महाराजा ग्लोबल स्कूल, बिजयनगर
हमने विद्यार्थियों का एग्जाम मोबाइल ऐप के जरिए लिया जिसका विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों का अच्छा रेसपांस मिला। साथ ही लॉकडाउन बढऩे पर अप्रेल माह में प्रत्येक क्लास को डेली ऐप के जरिए होमवर्क और स्टडी से सम्बंधित वीडियो के लिंक शेयर किए। बच्चों को लॉकडाउन में कुछ क्रियेटिविटी करने के उद्देश्य से ऑनलाईन कम्पीटिशन भी करवाए और उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग को व्हाटसअप ग्रुप के जरिए कक्षावार सबमिट करवाई। ऑनलाई पढ़ाई से बच्चों सहित उनके पेंरेंट्स भी खुश है।" alt="" aria-hidden="true" />
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विजय अरोड़ा, निदेशक, वात्सल्य उप्रावि, बिजयनगर
ऑनलाईन क्लासेज से अच्छी पढ़ाई हुई। डेली सर वीडियो के लिंक शेयर करते जिसे देखकर हमें सेलेबस कवर करने में बहुत सहायता मिली। मार्च में जैसे ही लॉकडाउन लगा, मुझे लगा मैंने जो एग्जाम की तैयारी की वो बेकार चली जाएगी, लेकिन हमारे सर ने मोबाइल एप के जरिए एग्जाम लेकर हममें नई ऊर्जा पैदा कर दी। अप्रेल में सर ने व्हाटसअप ग्रुप के जरिए पेंटिंग आदि का ऑनलाईन कम्पीटिशन करवाया साथ ही पेंटिंग को ग्रुप में सबमिट करवाई। इससे हमें कतई ऐसा नहीं लगा कि हम पढ़ाई से दूर हो गए हों।" alt="" aria-hidden="true" />
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मोहित सोनी, छात्र कक्षा 8, वात्सल्य उप्रावि, बिजयनगर
लॉकडाउन अवधि में स्कूल के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई जारी रहे, इसके लिए यूट्यूब चैनल के माध्यम से लेसन के वीडियो बनाकर अपलोड करके उसके लिंक बच्चों के पेरेंटस के व्हाटसअप नम्बर पर सेंड किए गए। ताकि बच्चे वीडियो देखकर अपनी स्टडी जारी रख सके। ऑनलाईन स्टडी के प्रति बच्चों में अच्छा प्रभाव देखा गया।" alt="" aria-hidden="true" />
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बीना शर्मा, संचालक, संजीवनी उमावि, बिजयनगर
ऑनलाईन क्लासेज का अनुभव बहुत ही अच्छा रहा। मेरे विद्यालय में 50 प्रतिशत बच्चे लोकल और 50 प्रतिशत बच्चे गांवों से आते हैं। गांव वाले बच्चों के साथ दिक्कत जरूर हुई कि किसी के घर में स्मार्टफोन नहीं, यदि किसी के घर में है तो सिर्फ एक ही है। कहीं-कहीं नेटवर्क की भी समस्या आई। इसलिए कुछेक ऑनलाईन क्लास में 100 फीसदी बच्चों ने भाग लिया किसी में कम। रही बात प्लेटफार्म की तो मैंने छोटे बच्चों को तो व्हाटसअप ग्रुप और बड़े बच्चों को जूम के माध्यम से पढ़ाया। जूम ऐप को लेकर अखबारों में खबरे छपने के बाद मैंने स्कूल का ऐप बनवा दिया है। अब ऐप पर सभी स्टडी मटेरियल अपलोड कर दिया जाएगा, जो बच्चा ऑनलाईन क्लास में भाग नहीं ले पाया वो भी अब उन मटेरियल के माध्यम से पढ़ सकेगा।" alt="" aria-hidden="true" />
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दिनेश छतवानी, निदेशक हेप्पी ऑवर्स स्कूल, गुलाबपुरा